Thursday, January 7, 2010

Zindagi..In dino

ज़िन्दगी मेरी आज फिर उस मुकाम पे है,

जीत नहीं सकता में .. हार यह मेहमान जो हैं..

जो की कोशिश मैंने, अपनी किस्मत से दाव लगाने की,

हर लम्हा महसूस किया, मजबूर हूँ में हर ज़र्रा गवाने को..

अपनों से अपनापन न मिला तो क्या,

बेगानों को बेगाना बनाया तो नहीं था..

फिर आज ये दौड़ है मेरी किस्मत,

और उसे लिखने वालो उन हाथो से..

आखिर जो मेरा मुकाम आएगा, खुदा भी कहेगा..

उसके बन्दों में हैं दम ऐसा,

होगा वही जो होता आएगा..

यह बंदा भी एक मुकाम पायेगा..!!

2 comments:

Stranger said...

Ae..khuda ke bande,Khuda khud tumhain tumhare mukaam tak pauhuchayega ya shayad khud mukaam tumhare paas le aayega....aisi dua hain meri....

Mayank Sharma Dadhich said...

Thanks Adi. :)